ट्रम्प के सैनिकों पर दिए कथित अपमानजनक बयान पर बवाल, इसके जरिए मिलिट्री बैकग्राउंड वाले वोटर्स को लुभाने में जुटे बिडेन - News in hindi

Breaking

Home Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

रविवार, 6 सितंबर 2020

ट्रम्प के सैनिकों पर दिए कथित अपमानजनक बयान पर बवाल, इसके जरिए मिलिट्री बैकग्राउंड वाले वोटर्स को लुभाने में जुटे बिडेन

गुरुवार को अटलांटिक मैगजीन ने एक आर्टिकल पब्लिश किया। इसके मुताबिक, 2018 में फ्रांस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रम्प ने बारिश का बहाना बनाकर प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के स्मारक पर जाने से इनकार कर दिया था। दावा है कि ट्रम्प ने सैनिकों को लूजर यानी हारा हुआ करार दिया था। आर्टिकल सामने आया तो विपक्ष यानी जो बिडेन और उनकी डेमोक्रेट पार्टी को मुद्दा मिल गया। बिडेन ने कहा- मेरा बेटा इराक में तैनात था, उसकी मौत कैंसर से हुई। लेकिन, वो लूजर या हारा हुआ नहीं था। अब ट्रम्प डैमेज कंट्रोल की कोशिशों में जुट गए हैं।

मौके की तलाश में थे डेमोक्रेट्स
शुक्रवार को डेमोक्रेट्स और खासतौर पर वे जिनका संबंध कभी सेना से रहा है, एक्टिव हो गए। ट्रम्प से नाराजगी जताई। कई प्रेस कॉन्फ्रेंस कीं। बिडेन ने कहा- ट्रम्प लंबे वक्त से सेना और सैन्य परिवारों को दरकिनार करते रहे हैं। उनका अपमान किया गया। अगर आर्टिकल सही है तो ट्रम्प राष्ट्रपति बनने लायक नहीं हैं। पूर्व सैनिकों के एक संगठन ने इराक और अफगानिस्तान में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों की मदद के लिए महज पांच घंटे में एक लाख डॉलर जुटा लिए।

राजनीतिक रणनीति
डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने उन नेताओं को मैदान में आगे कर दिया जो कभी फौज का हिस्सा रहे हैं। जैसे सीनेटर टैमी डकवर्थ, पीट बुटीगिग। रिटायर्ड सैनिकों को आमतौर पर रिपब्लिकन पार्टी का समर्थक माना जाता है। डेमोक्रेट पार्टी के 70 वर्तमान या पूर्व सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रम्प को खुला पत्र लिखकर उनसे माफी मांगने को कहा। डेमोक्रेट्स ये जानते हैं कि उन्हें पूर्व सैनिकों या उनके परिवारों का पूरा समर्थन नहीं मिलेगा। लेकिन, इन लोगों के बीच ट्रम्प की लोकप्रियता कम की जा सकती है।

डेमोक्रेट्स की इन राज्यों पर ज्यादा नजर
2016 में ट्रम्प को नॉर्थ कैरोलिना, फ्लोरिडा और एरिजोना में मिलिट्री बैकग्राउंड वाले लोगों के वोट हिलेरी क्लिंटन के मुकाबले दोगुने मिले थे। अगर ताजा विवाद से डेमोक्रेट्स कुछ भी फायदा उठा पाए तो इससे बेहतर क्या होगा। अगर कुछ अश्वेत और हिस्पैनिक वोटर्स भी मिल गए तो जीत भी सकते हैं। इनसाइड इलेक्शन वेबसाइट के एडिटर नैथन गोन्जेल्स कहते हैं- जब मुकाबला करीबी और कांटेदार होता है तो हर चीज और हर व्यक्ति अहम हो जाता है।

नैथन आगे कहते हैं- 2016 को याद कीजिए। ट्रम्प बहुत कम अंतर से जीते थे। मिशिगन, पेन्सिलवेनिया, विस्कॉन्सिन और फ्लोरिडा में तो उन्हें दो पॉइंट्स भी नहीं मिल सके। इसलिए, वे कोई रिस्क नहीं ले सकते।

...और ट्रम्प का दावा
ट्रम्प फेसबुक पर कैंपेन चला रहे हैं। इसमें कहा गया, "हमने आतंकवादियों का खात्मा किया। मिलिट्री को फिर से मजबूत बनाया और पूर्व सैनिकों के लिए काम किया।" लेकिन, करीब दो करोड़ बुजुर्गों के लिए ये ज्यादा मायने नहीं रखता कि ट्रम्प ने मिलिट्री के लिए क्या कहा। मायने ये रखता है कि उनकी पार्टी और सरकार ने स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती और आसान बनाने के लिए क्या किया? छोटे शहरों की महिलाओं के लिए भी यह मुद्दा अहम है।

मिलिट्री बैकग्राउंड वाले 80 फीसदी लोग ट्रम्प की योजनाओं से सहमत हैं। कुल बुजुर्गों में यह आंकड़ा 60 फीसदी है। रिपब्लिकन और पूर्व सैनिक फ्रेड वेलमैन कहते हैं- बुजुर्गों के वोटों में 10 फीसदी अंतर भी बहुत ज्यादा हो जाएगा। सैन्य अफसरों और सैनिकों में भी कुछ ऐसे हैं जिनको अब ट्रम्प पर भरोसा नहीं। लेकिन, इसका मतलब ये भी नहीं कि वे बिडेन के पक्ष में चले जाएंगे।

मिलिट्री बैकग्राउंड वाले लोग ज्यादा
वेलमैन कहते हैं- करीब तीन करोड़ लोग मिलिट्री बैकग्राउंड से हैं। फौज से जुड़े पूर्व और वर्तमान लोग रिपब्लिकन पार्टी के साथ हैं। लेकिन, कुछ आज भी खराब मकानों में रहते हैं। मंगलवार को जब हमने इनकी समस्याओं पर चर्चा के लिए टाउनहॉल किया तो 10 हजार से ज्यादा व्यूअर्स जुड़े। इनका ‘वोटवेट्स’ संगठन चुनाव तक ढाई लाख लोगों तक पहुंच बनाना चाहता है। इस ग्रुप ने चक रोचा नाम के एक्सपर्ट की मदद ली है जिन्होंने सीनेटर बर्नी सैंडर्स को लैटिन अमेरिकी वोटर्स तक पहुंचाया था। रोचा कहते हैं- हम टीवी कमर्शियल्स के जरिए वोटर्स तक पहुंचना चाहते हैं, पोस्टकार्ड्स के जरिए नहीं। सोशल मीडिया और टैक्स्ट मैसेज भी किए जा रहे हैं।

कुछ बिडेन के भी साथ
कॉमन डिफेंस नामक एक छोटा ग्रुप भी है। इसका कुछ असर एरिजोना, नॉर्थ कैरोलिना और मायने में है। ये बिडेन के पक्ष में माहौल बना रहा है। लेकिन, एक बात डेमोक्रेट्स भी बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि मिलिट्री बैकग्राउंड वाले परिवारों या लोगों में ट्रम्प का बेस कम करना आसान नहीं है। वोटवेट्स के चेयरमैन जॉन सोल्ज कहते हैं- अटलांटिक मैगजीन की स्टोरी में जो कुछ कहा गया है, उससे ट्रम्प की लोकप्रियता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। शुरुआती तौर पर जरूर कुछ लोग इस बारे में बात कर रहे हैं।

मामला ताजा है, इसलिए चर्चा हो रही है। व्हाइट हाउस स्टोरी का खंडन कर चुका है। उसने इतनी जल्दी खंडन इसलिए किया, क्योंकि वे जानते हैं कि इस आर्टिकल से कितना और कितनी तेजी से नुकसान हो सकता है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
फोटो जनवरी की है। जोए बाइडेन आयोवा में पूर्व सैनिकों से मिलने पहुंचे थे। तब डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट के तौर पर बाइडेन के नाम का ऐलान नहीं हुआ था। मिलिट्री बैकग्राउंड वाले परिवार आमतौर पर डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक माने जाते हैं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2QVL7ja https://ift.tt/3h4XZhF

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages