देश के दो प्रमुख सिनेमा संगठनों के बीचसर्टिफिकेशन को लेकर विवाद गहरा गया है। निर्माताओं की संस्था IMPAA ने सिने तकनीशियन कामगारों की संस्था FWICE पर कई संगीन आरोप लगाए हैं। इम्पा द्वारा आरोप लगाए गए हैं कि FWICE ने खुदको पश्चिमी भारत की एक मात्र सस्थां बताया है। आरोप ये भी है कि इस सस्थां से बाहर काम करने वाले वर्कर्स और प्रोड्यूसर्स से फाइन लिया जा रहा है।इस मामले की शिकायत अब सीसीआई ( कॉम्पीटीशन कमिशन ऑफ इंडिया) में भी पहुंची है।
IMPAA के चेयरमैन डीपी अग्रवाल ने शिकायत में लिखा है, 'हम वास्तव में हैरान हैं कि आप बार-बार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं कि आप एकमात्र संघ हैं जो पश्चिमी भारत के सभी श्रमिकों, तकनीशियनों और कलाकारों के संघों को नियंत्रित कर रहे हैं। और आप सभी निर्माता संघों और उत्पादकों को अपनी संस्था के गैर-सदस्यों के साथ काम करने की अनुमति देने से इनकार करते हैं।
5 लाख वर्कर्स होने का दावा गलत
यह आपके द्वारा दावे के आधार पर किया जाता है कि FWICE पांच लाख श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि वास्तव में आपके कार्यकर्ताओं की संख्या 50,000 से कम है। आपके कोषाध्यक्ष श्री गंगेश्वरलाल श्रीवास्तव के वीडियो रिकॉर्डिंग से इसकी पुष्टि की गई है। उसमें कहा गया है कि मजदूर संघ के कुल सक्रिय सदस्य सभी लाइटमैन, स्टाफ, स्पॉट और प्रोडक्शन ब्वॉय, कला विभाग के सभी वर्कर और सभी प्रोडक्शन क्रू के बहुसंख्यक वर्कर केवल 12,000 हैं। आपके सभी सहयोगी की कुल संख्या 50,000 से अधिक नहीं हो सकती।
आप यह भी जानते हैं कि आपका मनोरंजन उद्योग में एकमात्र संघ नहीं है। शिवसेना चित्रपट शाखा, फिल्म क्राफ्ट फेडरेशन, मराठी चित्रपट महामंडल और भाजपा, कांग्रेस, मनसे जैसे कई अन्य एसोसिएशन भी हैं। इसलिए बिना किसी ठहराव के कल्पना के आधार पर आप सभी श्रमिकों के एकमात्र प्रतिनिधि होने का दावा सभी को गुमराह करने के लिए कर रहे हैं।
आदेश के उल्लंघन के हर मौके पर IMPPA अपने फैसले को याद दिलाता रहा है और आपको कानून का उल्लंघन नहीं करने की सलाह देता है। सीसीआई के फैसले को उच्च न्यायालय के समान दर्जा प्राप्त है और इसे केवल उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। हालांकि, आपने CCI के निर्णय की अवहेलना करते हुए उत्पादकों और अपने स्वयं के सहयोगियों को निर्देश देना जारी रखा है। इसके खिलाफ एक निर्माता कॉन्टिलो पिक्चर्स प्रा लिमिटेड ने CCI से संपर्क किया। इस मामले में आपने अपने संबद्धों को दिनांक 29-3-18 / 26-11-18 के बहिष्कार के पत्र जारी किए थे। आपने मेसर्स को 30-11-18 को धमकी भरा पत्र भी जारी किया था।
लोगों पर जुर्माना लगाना नियम का उल्लंघन है
आगे समझाइश देते हुए टीपी अग्रवाल ने कहा, 'आपको और आपके सहयोगियों को यह महसूस कराना होगा कि समय बदल गया है। कोई भी शर्तों को निर्धारित नहीं कर सकता है। हर किसी को संयुक्त रूप से काम करना होगा और पूर्ण सहयोग देना होगा अन्यथा उत्पादक और उद्योग नहीं रह पाएंगे। निर्माता अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति के साथ काम करने के लिए स्वतंत्र हैं, चाहे उनके द्वारा तय की गई कीमत पर किसी भी एसोसिएशन का सदस्य हो या नहीं। किसी को भी केवल अपने सदस्यों के रोजगार पर जोर देने, सतर्कता जांच करने और शूट रोकने का कोई अधिकार नहीं है। नॉन-मेम्बर्स को काम पर रखनाऔर जुर्माना लगाना CCI द्वारा दिए गए कम्पीटिशन एक्ट का उल्लंघन है। निर्माता स्वतंत्र हैं, उसेकाम करने के लिए पूरी स्वतंत्रता है। तय किए गए विचार पर और कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर सकता है या कोई अनुचित मांग नहीं रख सकता है क्योंकि यह कानून का उल्लंघन है'।
'IMPPA आपको स्पष्ट रूप से अपने कर्मचारियों की कुल संख्या और CCI द्वारा आपके ऊपर लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में बताता है। यह सुनिश्चित करना आपका कर्तव्य है कि किसी भी परिस्थिति में आपके किसी सहयोगी को फिल्म, टीवी या किसी अन्य मनोरंजन प्लेटफॉर्म या निर्माता के खिलाफ किसी भी तरह की मजबूत हथियार रणनीति का उपयोग नहीं करना चाहिए। कोई भी भूमि के कानून का दुरुपयोग नहीं कर सकता है। अगर आप और आपके सहयोगी ऐसा करते हैं, तो आप पूरी तरह से अपने जोखिम पर ऐसा करेंगे, जैसे कि लागत और परिणाम'।
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